Aash Karan Atal

Aash Karan Atal

The poems which are heard on the stage of Hindi Kavi Sammelan always generate curiosity among new poets. The poets who struggle to come on the stage, Their biggest concern is about the poems. Most of the rhymed poems are heard on the Hindi manch. But verses free of humor and sarcasm are also widely heard and appreciated.

आश करन अटल ( संक्षिप्त परिचय )

जन्मतिथि : 28 अक्टूबर 1945

हिंदी कवि सम्मेलन के मंच पर सुनी जाने वाली कविताएँ हमेशा नए कवियों में उत्सुकता पैदा करती हैं। जो शायर मंच पर आने के लिए जद्दोजहद करते हैं, उनकी सबसे बड़ी चिंता तो कविताओं की होती है। अधिकांश तुकांत कविताएँ हिंदी मंच पर सुनी जाती हैं। लेकिन हास्य और व्यंग्य से मुक्त छंद भी व्यापक रूप से सुने और सराहे जाते हैं। कवि सम्मेलन की दुनिया में ऐसे कई कवि हैं जो अपनी सटीक व्यंगात्मक शैली से अपना स्थान बनाते हैं। आश करण अटल लंबे समय से मंच पर हैं। उनकी छंदमुक्त हास्य और व्यंग्य की कविताएं मंच पर उनकी पहचान हैं। चूँकि वे फ़िल्मों के संवाद भी लिखते हैं, शायद इसीलिए उनकी कविताएँ भी संवाद शैली में हैं। ऐसा लगता है जैसे आपसी बातचीत हो रही हो। आश करण अटल का यही खास अंदाज उन्हें मंच पर लोकप्रिय बनाता है।

आश करण अटल ने कई हिंदी फिल्मों के लिए संवाद लिखे हैं। जिनमें ‘Vivah’ फिल्म का संवाद लेखन (2006) और Prem ratan Dhan Paayo’ फिल्म का संवाद लेखन मुख्य रूप से शामिल है , गद्य और पद्य दोनों विधाओं का संबंध लेखन से है, चिंतन और मनन की दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है। शब्द दोनों में यात्रा करते हैं। इसलिए दोनों भिन्न होते हुए भी समानांतर यात्रा कर सकते हैं। आशा करण अटल दोनों के बीच संतुलन बनाए हुए हैं। हास्य व्यंग शैली के कवि आश करण अटल अपनी तरह के इकलौते कवि हैंआश कारन अटल को कई पुरूस्कार और सम्मान मिल चुके हैं Kaka Hathrasi हास्यरत्न पुरस्कार (Hindi Academy, Government of Delhi) 2008, Acharya Ramchandra Shukla Puraskar (महाराष्ट्र राज्य Hindi साहित्य अकादमी) 2008-09, काव्य शिखर सम्मान (Waah Waah Kya Baat Hai, SAB TV) 2013 मुख्य रूप से मिले हुए सम्मान हैं | All India Radio, Doordarshan, Zee TV, Sony TV, SAB TV आदि तमाम टेलीविज़न चैनल्स पर काव्यपाठ कर चुके आश कारन अटल ने लगभग एक दर्ज़न देशों की यात्रा की है |

There are many poets in the world of Kavi Sammelan Who make their place through their precise satirical style. Aash Karan Atal has been on stage for a long time. His verse-free poems of humor and satire are his identity on the stage. Since he also writes dialogues for films, perhaps that’s why his poems are also in dialogue style. It seems as if there is a mutual conversation. This special style of Aash Karan Atal makes him popular on stage.

 

आश करन अटल की कविता

ख़बर थी –
एक बीमार नेता ने, लंदन में
अन्तिम सांस ली।
उधर यमदूत नेता को लेकर
नरक पहुंच भी नहीं
उससे पहले चैनल का रिपोर्टर
लंदन पहुंच गया अपनी टीम लेकर
और नेता के बेटे का इंटरव्यू लिया –

“आपको कैसा लग रहा है?”
जी, में कुछ समझा नहीं, क्या कैसा लग रहा है?”
“आपके पिताजी के मरने की खबर सुनकर
“आपको कैसा लग रहा है”
“जी, बहुत बुरा लग रहा है।”
अन्तिम सांस लेने से पहले
उन्होंने किसी दर्द या तकलीफ़ की शिकायत की थी”
“जी नहीं। डायरेक्ट अन्तिम सांस ली थी।”
इससे पहले भी कभी
उन्होंने अन्तिम साँस ली थी?”
“जी, कोशिश तो की थी
लेकिन डॉक्टरों ने लेने नहीं दी।
“अन्तिम साँस लेने के बाद क्या हुआ?”
जी, अन्तिम साँस लेने के बाद वो मर गए।”
“क्या उनको पता था
कि अन्तिम साँस लेने के बाद वे मर जाएंगे।”
“जी, पता था।”
“जब उनको पता था कि अन्तिम सांस लेने के बाद
वे मर जाएंगे तो उन्होंने अन्तिम सांस क्यों ली?”
“जी, राष्ट्रहित में ली।”
“उन्होंने राष्ट्रहित में अन्तिम साँस ली,
यह आप कैसे कह सकते हैं?”
“जी, मैं ऐसे कह सकता हूँ कि
उन्होंने जो भी काम किया, वो या तो राष्ट्रहित में किया
या पार्टी के हित में किया।
अगर पार्टी के हित में अन्तिम साँस लेते
तो
चुनाव से ठीक पहले लेते,
सहानुभूति की लहर बनती,
दो-चार सीटें ज़्यादा मिलती
यानी पार्टी के हित में
अन्तिम साँस नहीं ली।
इसका ये मतलब हुआ
कि उन्होंने राष्ट्रहित में अन्तिम साँस ली।”

वे लंदन क्यों आए?”
जी, अन्तिम साँस लेने के लिए आए।”
“वे ये अन्तिम साँस भारत में भी ले सकते थे
इसके लिए इतनी दूर क्यों आए?”
“जी, राष्ट्रहित में आए।”

“आपने प्रधानमंत्री का वो बयान पढ़ा है।
जिसमें उन्होंने कहा है कि नेता जी के जाने से
राष्ट्र का बड़ा नुकसान हुआ है?”
“जी, पढ़ा है।”
रिपोर्टर के चेहरे पर एक चमक-सी आई
उसने प्रधानमंत्री के बयान में सेंध लगाई
“आप कह रहे हैं उन्होंने राष्ट्रहित में
अन्तिम साँस ली और प्रधानमंत्री कह रहे हैं
कि उनके जाने से राष्ट्र का बड़ा नुकसान हुआ है!
अब सवाल ये उठता है कि राष्ट्रहित में
अन्तिम साँस ली तो राष्ट्र का नुकसान कैसे हुआ?
फ़ायदा होना चाहिए!
फ़ायदा क्या हुआ
ये प्रधानमंत्री को बताना चाहिए।
सरकारी खर्चे पर डायलिसिस के सहारे जीवित
निकम्मे नेताओं को राष्ट्रहित में मरने के लिए
आगे आना चाहिए?
बहरहाल, ये हैं कुछ अनसुलझे सवाल ।”

वो आँधी की तरह आया
और तूफ़ान की तरह छा गया
कुछ सवाल किए
और जवाब लिए बिना ही
ब्रेक पर चला गया।

Aash Karan Atal has written dialogues for many Hindi films. There is no coordination between dialogue and poetry, But both the genres are related to writing, Both have their own role of contemplation and meditation. Words travel in both. That’s why both can travel parallel despite being different. Aash karan Atal is maintaining a balance between the two. Poet Aash karan Atal is the only poet of his kind in comic satirical style

If you are interested in organizing a Hasya Kavi Sammelan, we kindly request that you share your preferred dates with us. Together, we can collaborate to ensure a successful event. Please feel free to contact us at +91-801-05-99955 or via email at kavisammelanshow@gmail.com.